पृथक विदर्भ समर्थक ,राष्ट्रीय जनसुराज पाटी के संस्थापक अध्यक्ष, समाज सेवा-सहकार क्षेत्र का सन्मानित नाम
- राजेश बापूरावजी काकडे
राजनीति को जनसेवा मानने वाले स्पष्ट वक्ता,राष्ट्रीय ,स्थानीय मुद्दों पर गहन व स्पष्ट विचार रखने वाले राजेश काकडे आम जनता से सीधे जुड़े हुए राजनेता एवं समाजसेवी के रूप में जाने जाते है । वृक्षारोपण, नेत्रदान शिविर, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान ,रक्तदान शिविर, स्वच्छता अभियान जैसे जनहितों से जुड़े कार्यों से जुड़े राजेश काकडे सिर्फ १७ वर्ष की आयु से समाज सेवा करना शुरु कर दिया था। जिस वक्त बालवाडी, आंगनवाडी अस्तित्व में नहीं आये थे, उस वक्त राजेश काकडे ने बालक मंदिर, वाचनालय स्थापित करके गरीब तथा सर्वसामान्य जनता के लिए काम करने का संकल्प ले लिया था। अपनी कुलदेवी का आशीर्वाद लेकर राजेश काकडे ने १९९६ में मॉ सर्वमयी नागरी सहकारी पतसंस्था की स्थापना की।
बापू राव काकडे के सुपुत्र राजेश काकडे वर्तमान में सहकार क्षेत्र का एक चर्चित नाम बन चुके हैं। राजनीति, समाजसेवा और सहकार की त्रिवेणी धारा वाले राजेश काकडे सहकार क्षेत्र विश्वास पर टिका हुआ है, अगर विश्वास नहीं तो सहकार क्षेत्र में उतरना ही नहीं चाहिए, ऐसी बात दावे से कहने वाले राजेश बापूराव जी काकडे ने शून्य से शिखर तक का सफर अपने मेहनत के बल पर प्राप्त किया। पृथक विदर्भ के समर्थक राजेश जी का कहना है कि जिस वक्त उनके पिता बापूराव काकड़े ने सहकार क्षेत्र में पाव रखा तो प्रारंभ में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा लेकिन जैसे जैसे समय बीतता चला गया, वे सहकार क्षेत्र के एक मजबूत चेहरा बन गए। महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में १ अक्टूबर, १९६५ को जन्मे राजेश काकडे अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद शिक्षा क्षेत्र जुड़ना चाहते थे, लेकिन पिता जी के निधन के बाद उन्होंने सहकार क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहा। शिक्षक बनने की जगह सहकार क्षेत्र को ही अपना करियर क्यों चुना, ऐसा पूछने पर राजेश काकडे ने बताया कि शायद इसके पीछे का कारण यह था कि पिता के सानिध्य में सीखे गए कार्य को आगे बढ़ाना एक तरह पिता आशीर्वाद सदैव मेरे साथ रहेगा और इसी प्रेरणा से राजेश काकडे अपनी सहकारी बैंक में रहकर उसे आगे बढ़ा रहे हैं। सहकार क्षेत्र को अपना करियर बनाने वाले राजेश काकडे ने राजनीति की पारी भी खेली है।
२४ वर्ष की छोटी सी आयु में सन् १९९६ में राजेश काकडे ने मॉ सर्वमयी नागरी सहकारी पतसंस्था की स्थापना की। चूंकि वे पिता के सानिध्य में सहकार क्षेत्र की कार्य कुशलता सीख चुके थे , इसलिए वे अपनी पतसंस्था को बड़ी कुशलता से आगे बढ़ाने में सफल हो गए। राजेश काकडे अपनी इस सफलता को अपने माता-पिता के आशीर्वाद का ही फल मानते हैं। आज राजेश काकडे की सहकारी बैंक नित नए आयाम छू रही है। १९७२ में वाघोली ग्राम से नागपुर में स्थायी तौर पर आए बापूरावजी वाशीम ने बीसीजी में नौकरी छोड़ने के बाद ,आर्थिक संकट की वजह से नागपुर आ गए और नागपुर को ही अपनी कर्मभूमि बनाया। अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए राजेश काकडे ने मॉ सर्वमयी नागरी सहकारी पतसंस्था की स्थापना की।
राजेश काकडे को अपने पिता बापू राव काकडे के शुद्ध तथा पारदर्शक व्यवहार का भरपूर लाभ मिला। जिस वक्त बापूराव काकडे सहकार क्षेत्र में देयक प्रतिनिधि के तौर पर कार्यरत थे, उनकी छवि बहुत अच्छी थी। उनको देखकर पूंजी निवेशकों ने उन पर विश्वास रखा। चूंकि राजेश काकडे अपने पिता का काम लगातार देखा करते थे, लिहाजा उन्हें यह काम अच्छा लगने लगा। पतसंस्था की स्थापना करने के बाद उन्हें पहले के चार वर्ष आर्थिक संकट से जूझना पड़ा। राजेश काकडे का विश्वास रंग लाया और जब वे ३० वर्ष की आयु के थे, उस वक्त एक पूंजी निवेशक ने राजेश काकडे पर विश्वास रखते हुए ४ लाख रूपए पतसंस्था में निवेश किए, इसके बाद से ही राजेश काकडे की हर कोशिश सफल होती चली गई। उनकी पतसंस्था में निवेशकों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी बढती चली गई। गरीब को काफी करीब से समझने वाले राजेश काकडे ने अपनी पतसंस्था से गरीबों तथा जरूरतमंद लोगों को आर्थिक सहयोग देने का निश्चय किया। बीते दिनों में किए गए संघर्ष को याद करते हुए राजेश काकडे कहते हैं कि अगर संघर्ष नहीं करता तो आज जहां हूं, वहां कतई नहीं रह पाता। पतसंस्था की ओर से दी गई मदद के कारण लगभग ४ हजार परिवार को घर मिले हैं। विकट स्थिति में शिक्षा ले रहे ४२ विद्यार्थियों को पतसंस्था की ओर से प्रति विद्यार्थी दस लाख रुपए कर्ज के तौर पर दिए, जिसके कारण उन विद्यार्थियों को अच्छे स्थान पर काम मिला है, जिससे राजेश काकडे बहुत आनंदित हैं। वर्तमान में मॉ सर्वमयी नागरी सहकारी पतसंस्था की नागपुर शहर में पांच शाखाएं हैं, जिसमें ६४ लोग कार्यरत हें, जबकि जायन्ट्स मल्टिस्टेट क्रेडिट को आपरेटिव सोसाइटी की नागपुर जिले में पांच शाखाएं हैं, जिनमें लगभग ७० कर्मचारी कार्यरत हैं।
जलालपुरा प्राथमिक शाला, एवं जयहिंद कान्वेंट नागपुर से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद सन् १९८४ में राजेंद्र हाईस्कूल महाल नागपुर से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद १९८७ में नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ सोशल वर्क नागपुर से जीटीसीए का पाठ्यक्रम पूरा किया। इसके बाद १९८९ में बी.एस.डब्ल्यू का पाठ्यक्रम पूरा किया। एम.एस.डब्ल्यू, ,बैंकिंग में जी.डी.सी .तथा समाजकार्य में एम. फिल. तक का शिक्षण प्राप्त करने वाले राजेश काकड़े ने जिस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उस क्षेत्र में अपना मुकाम बनाने में सफल रहे हैं। सहकार क्षेत्र में अच्छी सफलता मिलने को भी एक तरह की शिक्षा मानने वाले राजेश काकडे के पूरे परिवार में शिक्षा को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है। शिक्षा को केवल डिग्रियों तथा उच्च रोजगार पाने तक ही सीमित न रखकर प्राप्त से शिक्षा से समाज उत्थान करने की जो सीख राजेश काकडे को उनके शिक्षकों ने दी, उस पर कायम रहते हुए राजेश काकडे कहते हैं कि स्कूली शिक्षा के दौरान शिक्षक जो कुछ पढ़ाते हैं, उसे ध्यान से सुनना चाहिए। १९८५ में २० वर्ष की आयु में राष्ट्रीय एकात्मता प्रेरणा पीठ की स्थापना को अपने जीवन की बड़ी सफलताओं में से एक मानने वाले राजेश काकडे ने नागपुर के वाघुली गांव में बालक मंदिर, वाचनालय तथा अंधश्रद्धा निमूर्लन केंद्र की स्थापना करके यह संकेत दे दिया था कि वे आगे चलकर सामाज उत्थान के कार्यों में अहम योगदान देंगे।
राजनिति-समाजसेवा का सफर
राजेश काकडे १९८४ से २०१२ तक कांग्रेस में रहे,२०१६ के दिसंबर माह में राष्ट्रीय जनसुराज पार्टी की स्थापना की। राजनीतिक दलों के अलावा कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े हैं। १९८५ में राष्ट्रीय एकात्मिक पीठ की स्थापना के बाद भी राजेश काकडे नए नए संगठनों की स्थापना में पीछे नहीं रहे। १९९० में महाराष्ट्र लोकतांत्रिक विकास मंच की स्थापना करके इस संगठन के संस्थापक तथा अध्यक्ष राजेश काकडे ने २०१२ में जायन्ट्स मल्टीस्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी की स्थापना की, जिसके वे वर्तमान में अध्यक्ष हैं। १९९६ में मॉ सर्वमयी नागरिक सहकारी पतसंस्था की स्थापना करने वाले राजे काकडे सन् २०१२ में अपने पिता बापूजी राव काकडे के नाम पर एक वाचनालय का शुभारंभ किया व पंत संस्था अभिकर्ता कल्याण संघटना की स्थापना की।
छोटी उम्र में ऊंची उड़ान के कथन को सच करने वाले राजेश काकडे के सामाजिक कार्यो की सूची बड़ी लंबी है। जिस संस्था में राजेश काकडे ने उच्च शिक्षा ली, उसी नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ सोशल वर्क कॉलेज के वे सचिव भी रह चुके हैं। इतना ही नहीं राजेश काकडे १९८७ से १९९० की कालावधि में महाराष्ट्र सोशल वर्क स्टूडेंट आर्गनाइजेशन के सहायक सचिव भी रहे हैं। १९९० -१९९१ में तिरपुडे कॉलेज ऑफ सोशल वर्क स्टूडेंट वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष पर सफलतापूर्वक काम करने के बाद राजेश काकडे ने २००२ से २००९ तक सावता सहकारी पतसंस्था के सचिव पद पर काम किया। सन् १९९७ से २००० की कालावधि में महाराष्ट्र सरकार की ओर से संचालित मध्य नागपुर संजय गांधी निराधार योजना समिति में सदस्य के तौर पर भी राजेश काकडे ने काम किया है। वर्धमाननगर के महात्मा गांधी तंटामुक्त समिति के अध्यक्ष पद काम कर चुके राजेश काकडे की समाज सेवा के कार्यों की सूची यही खत्म नहीं होती। १९९६ से २०१९ की अब तक कालावधि में राजेश काकडे ने नागपुर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में ५० हजार से ज्यादा पौधे लगवाए हैं। काकड़े ने नागपुर शहर के देशपांडे ले आउट, चितार ओली, हिवरी नगर,भांडेवाडी, हनुमान नगर क्षेत्र में कई पौधे लगवाए हैं। ५ जुलाई, २०१९ को संतरा नगरी नागपुर में पौधे लगवाए गए। सामाजिक कार्यो में अग्रणी राजेश काकडे ने गरीब तबके के बच्चों के लिए सन् २००२ से कापियों के वितरण करने का जो पुनीत कार्य शुरु किया था, वह आज भी जारी है। इसके अलावा नेत्र जांच शिविर सन् २००५ ,रक्त दान शिविर २००७ से हर साल जरूरत के हिसाब से किया जाता आ रहा है। जिस स्वच्छता अभियान को संत गाडगे महाराज,महात्मा गाँधी द्वारा चालना मिली है, उसे राजेश काकडे ने नागपुर शहर में सन् १९८६ में ही शुरु कर दिया था। प्राकृतिक आपदा के समय प्रभावितों को जीवनावश्यक वस्तुएं उपलब्ध करवा चुके राजेश काकडे की सक्रियता के कारण २००९ में देशपांडे ले आउट क्षेत्र में स्थित शीतला माता मंदिर का जिर्णोद्धार करवाया गया। कामठी पंचायत के अंतर्गत सन् १९६० में गादा गांव में बनाए गए भगवान गोपाल कृष्ण मंदिर का २००५ में कराया गया जिर्णोद्धार हो या फिर कामठी तहसील के नान्हा का दत्त प्रभु मंदिर हो या फिर सन् २०१८ में मांगली में बनाया गया बौद्ध विहार हो सभी में किसी न किसी रूप में राजेश काकडे ने सहयोग दिया है। कामठी तहसील में भव्य द्वारिकाधीश महानुभाव मंदिर का निर्माण कार्य राजेश काकड़े के सहयोग किया जा रहा है। महानुभाव पंथ के ग्रंथ के आधार पर राजेश काकडे संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना करने के लिए प्रयत्नशील हैं। इस गोपालकृष्ण मंदिर में निवास स्थान, अध्ययन कक्ष, ध्यान कक्ष तथा वर्ष भर भोजन के रूप में महाप्रसाद देने की योजना भी राजेश काकडे ने बनायी है। साप्ताहिक बेरोजगार संदेश में सहायक संपादक के रूप में काम कर चुके राजेश काकडे ने बचपन से ही समाज सेवा को जो सीख ली, उस पर वे आजीवन चलना चाहते हैं।
पृथक विदर्भ के पक्ष में आवाज की बुलंद
पृथक विदर्भ के पक्ष में आवाज बुलंद करने वाले लोगों में एक नाम राजेश काकडे का भी है। पृथक विदर्भ को लेकर जब जब भी आंदोलन हुए हैं, राजेश काकडे ने आगे आकर अपना स्वर बुलंद किया है। ९ अगस्त २०१६ को पृथक विदर्भ के मुद्दे को लेकर आंदोलन कर चुके राजेश काकडे का कहना है कि जिस तरह से छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को अलग राज्य बनाया गया है, उसी तरह विदर्भ को भी अलग राज्य बनाना चाहिए, क्योंकि जब तक विदर्भ राज्य नहीं बनेगा, तब तक यह क्षेत्र रोजगार समेत अन्य क्षेत्रों में समृद्ध नहीं होगा। एडवोकेट हरिअणॆ ,श्रीराम नेवले ,श्री वामन चरप से साथ कई कार्यक्रमों में मंच साझा कर चुके राजेश काकडे का कहना है कि विदर्भ को अगर आर्थिक रूप से समृद्ध करना है तो उसे महाराष्ट्र से अलग करके एक अलग राज्य बनाना बहुत जरूरी है। राजेश काकडे पृथक विदर्भ आंदोलन के लिए सरकार की ओर से विशेष कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किए गए हैं।यशवंतराव चव्हाण शिक्षण संस्था पुणे के नागपुर जिला प्रतिनिधि भी रह चुके ।
दिगंबर जैन महासमिति की ओर से अक्टूबर २०११ में पुरस्कार प्राप्त करने वाले राजेश काकडे को भ्रष्टाचार प्रतिबंधक शाखा की ओर से नवंबर, २०१६ में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनजागृति के लिए पुरस्कृत किया गया। २०१७ में सह्याद्री अर्थ रत्न तथा अगस्त २०१८ में आदिम संशोधन अध्ययन मंडल की ओर से सम्मानित किए गए राजेश काकडे को नई दिल्ली में सन् २०१३ में राजीव गांधी पुरस्कार देकर सम्मानित किया जा चुका है।
भावी योजनाएं
आज के शिक्षित युवाओं के बारे में राजेश काकडे खुले तौर पर कहते हैं कि आज के युवा शिक्षा के बहुआयामी क्षेत्र से परिचित नहीं है। इंजीनियरिंग, मेडिकल और बैकिंग और मैनेटमेंट के अलावा अन्य क्षेत्रों में आज की पीढ़ी नहीं जाना चाहती। राजेश काकडे ने एमं.पी.एस.सी, यू.पी.एस.सी. स्पर्धा परीक्षाओं मे शामिल होने वाले विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शन केंद्र शुरु करने की योजना बनायी है। किसानों की आत्महत्या रोकने के प्रति विशेष रूप से जागरूक राजेश काकडे का कहना हैं कि आपदाग्रस्त किसानों को आत्महत्या से रोकने के लिए सन् २०१८ में स्थापित की गई किसान प्रशिक्षण संस्था में दिए जा रहे प्रशिक्षण से किसान अपनी जीवनलीला खत्म न करके विपत्ति में कैसे धैर्य कैसे रखा जाए, इस बात की शिक्षा ले रहे हैं। चंद्रपुर,कोराडी,खापरखेड़ा ,मोदा बिजली उत्पादन केंद्र से निकलने वाली राख से वहां के किसानों के जमीन की उर्वरा शक्ति समाप्त हो रही है, इस बारे में गंभीरता से सोचने वाले राजेश काकडे विदर्भ के किसानों के हितों को लेकर भी बड़े गंभीर हैं।
Links :-
https://www.youtube.com/watch?v=HBoe_lN6Nyc
Rss-Misleading-Youth-In-Name-Of-Patriotism-Kakde
https://www.nagpurtoday.in/rss-misleading-youth-in-name-of-patriotism-kakde/09061311
Pro-Vidarbha parties meet on Sun to finalize the strategy
True-Democracy-And-Self-Governance-By-Citizens
Bhandewadi-Dumping-Yard-Is-Polluting-Ground-Water
१९८५ राष्ट्रीय एकात्मिक प्रेरणा पीठ की स्थापना
१९९०-९१ तिरपुडे कॉलेज ऑफ सोशल वर्क स्टूडेंट वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष
१९९७ -२००० महाराष्ट्र सरकार संचालित मध्य नागपुर संजय गांधी निराधार योजना समिति में सदस्य
१९९० महाराष्ट्र लोकतांत्रिक विकास मंच की स्थापना
२००२- २००९ सावता सहकारी पतसंस्था के सचिव पद
२००५ द्वारकाधीश मंदिर गादा की स्थापना
२०११ दिगंबर जैन महासमिति की ओर से पुरस्कार
२०१२ जायन्ट्स मल्टीस्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी की स्थापना
२०१२ पिता बापूजी राव काकडे के नाम पर एक वाचनालय का शुभारंभ
२०१३ राजीव गांधी पुरस्कार से नई दिल्ली में सम्मानित
२०१६ दिसंबर माह में राष्ट्रीय जनसुराज पार्टी की स्थापना
२०१६ भ्रष्टाचार के खिलाफ जनजागृति के लिए पुरस्कृत
२०१८ आदिम संशोधन अध्ययन मंडल की ओर से सम्मानित
संस्थापक - मॉ सर्वमयी नागरी सहकारी पतसंस्था
संस्थापक, अध्यक्ष - मॉ सर्वमयी प्रेरणा बहुद्देश्यीच संस्था
अध्यक्ष - जायंट्स ग्रुप ऑफ ग्रीन सिटी नागपुर
विशेष कार्यकारी अधिकारी - पृथक विदर्भ आंदोलन
अध्यक्ष - संस्थापक महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश जायन्ट्स मल्टी स्टेट को-आपरेटिव सोसाइटी मर्यादित