डॉ. सुनील गुप्ता - मधुमेह विशेषज्ञ
Diabetologist
Consultant:Diabetologist M.D.FACE (USA), FRCP (London,Edinburgh & Glasgow), FACP (USA),FICP, FIAMS, FIACM, FDI, FRSSDI
हौसला,हिम्मत और आत्मविश्वास की अद्भुत मिसाल-डॉ.सुनील गुप्ता विश्वस्तरिय छवि ,गिनीज बुक,लिम्का बुक, जूनियर चेंबर इंन्टरनेशनल द्वारा “The Outstanding Young Person of the World “ (TOYP) अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से अमेरिका में सम्मानित व अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
अगर पाना चाहते हैं मंजिल ,तो बस एक ' फैसला ' चाहिए |
हर सपने पूरे हो सकते हे ,सिर्फ दिल में ' हौसला ' चाहिए ||
इन पंक्तियों को अक्षरशः साबित करने वाले मध्य भारत ही नहीं बल्कि देश के अग्रणी मधुमेह विशेषज्ञ चिकितकों में शामिल डॉ. सुनील सूरज प्रसाद गुप्ता ने अपने दृढ इरादों, आत्मबल. हौसलों व आत्मविश्वास के बलबूते पर सफलता की इच्छित मंजिल को पाकर यह साबित कर दिखाया है कि अगर दिल में जज्बा और जुनून हो तो संम्पूर्ण कायनात आपका साथ देती है। 20 जुलाई 1964 को माता श्रीमती सरोज गुप्ता की कोख से जन्म लेने वाले बालक सुनील के शुरूवाती 1-2 वर्ष बचपन मध्यप्रदेश के आदिवासी बहूल जिला बैतूल की तहसील शाहपूर ग्राम में बीते। प्रारम्भिक शिक्षा वारासिवनी (बालाघाट) में मेन प्राथमिक शाला स्कूल में पूर्ण हुई व बालक मंदिर व कक्षा पहली से पांचवी तक उनकी पढ़ाई हिंदी माध्यम में हुई कुशाग्र बुद्धि सुनील की विशेषता रही कि वे हर कक्षा में अव्वल श्रेणी में ही उत्तीर्ण होते थे । पिताजी श्री सूरज प्रसाद गुप्ता शंकरराव पटेल महाविद्यालय में प्राचार्य थे. अतः घर मे शैक्षणिक वातावरण मिला। नागपुर में रहने वाले सुनील के नानाजी श्री हरिश्चन्द्रजी. उनकी नानीजी श्रीमति रामबाई व मामाजी श्री चंदन कुमार गुप्ता ने सुनील को नागपुर लाकर निर्णय लिया कि अब उसे यहीं पढ़ाएंगे ताकि वह उच्च शिक्षा ले सके। सुनील की उम्र उस वक्त केवल 11 वर्ष की थीं। मामाजी ने उसे सेंट जॉन्स हॉयस्कूल में कक्षा छठवी में प्रवेश दिला दिया, लेकिन बालक सुनील के लिए एक बड़ी दुविधा उत्पन्न हो गई क्योंकि हिंदी माध्यम से पढ़ाई करने वाले सुनील की अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में अब पढ़ना था. जबकि सुनील को उस वक्त ABCD लिखना पढ़ना भी नहीं आता था।
नई चुनौती ने कर दिया विचलित
यह अनुमान सहजता से लगाया जा सकता है कि जिस विद्यार्थी ने कभी अंग्रेजी की ABCD ही न सीखी हो, उसे कभी अंग्रेजी की पुस्तकों से सामना करना पड़ेगा तो उसकी क्या हालत होगी? पुस्तके पढ़ना तो दूर उसके बाद परीक्षा के प्रश्नपत्रों को भी समझ कर उसके उत्तर भी अंग्रेजी में लिखना होंगे यह सब सोचकर ही सुनील के माथे पर बल पड़ गए। हमेशा हर कक्षा में प्रथम आने वाले इस बालक की चिंता यकीनन स्वाभाविक ही थी। माँ ने हौसला दिया बेटा मैं तुझे घर में ही अंग्रेजी सिखाऊंगी, चिंता मत कर। डॉ. सुनील गुप्ता अतीत के पृष्ठ पलटते हुए कहते है कि सुना था हर बालक की प्रथम गुरू माँ होती है, यह बात मुझे उस वक्त पता चली जब मेरी माँ ने अप्रेल-मई 1975 तक मुझे घर में ही ABCD से लेकर अंग्रेजी का बेसिक ज्ञान देना शुरू कर दिया। संयोग से स्कूल की क्लास टीचर मिस एलियास ने मेरी इस परेशानी को देखते हुए मेरा हौसला अफजाई की और मेरी अकेले की ट्यूशन लेना शुरू कर दिया। आगे चलकर मैने न माँ को निराश किया और न ही टीचर को क्योंकि मैंने कक्षा छठवीं में पुनः प्रथम स्थान प्राप्त किया. इसके बाद कक्षा दसवीं तक मेरी सफलता का यही क्रम बरकरार रहा। डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि जिस वक्त में कक्षा नौवी में था. उस वक्त स्कूल में मुझे विभिन्न स्पर्धाओं में नौ अवार्ड हासिल हुए।
मेडिकल क्षेत्र की राह का चुनाव
डॉ. सुनील गुप्ता अपना बाल्यकाल याद कर बताते है कि बात उन दिनों की है, जब मैं टिमकी क्षेत्र में नानाजी के घर में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा था। पढ़ाई के साथ-साथ मैं अपने नानाजी की अनाज की दुकान में हाथ बंटाता था। दरअसल, मेहनत करना मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता था। 11 वीं व 12 वीं कक्षा के लिए सिंधू महाविद्यालय में प्रवेश लिया। अंग्रेजी का भय पुनः एक बार सताने लगा। क्योंकि दसवीं तक भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, जीवशास्त्र, अंकगणित व बीजगणित पढने वाले सुनील को अब एकाएक 11 वीं में Physics, Chemistry, Biology, Algebra, और Geometry अंग्रेजी में पढ़ना जरूरी हो गया। "किंतु इस दौरान मैं हर चुनौतियों का सामना करने के लिए पूर्णतः सक्षम को चुका था।" वे अपने महाविद्यालय की स्मृतियों को ताजा करते हुए आगे कहते हैं कि 11वीं व 12वीं में मेरा 1st रैंक बरकरार रहा। 12 वीं कक्षा में मैं जिस वक्त अध्ययन कर रहा था। उस वक्त महाविद्यालय का वार्षिक समारोह आयोजित किया गया इस समारोह में ज्युनियर व सीनियर कॉलेज की साथ में स्पर्धा रहती थी। इस स्पर्धा में सुनील को पूर्ण महाविद्यालय के सबसे Prestigious "The Best Student Award" से सम्मानित किया गया कॉलेज में उन्हें प्रोत्साहित करने में डॉ. आर. बी. सिंह व डॉ श्याम वर्धन व अन्य अध्यापकों का विशेष सहयोग रहा। फिर 1982 में उन्हें इंदिरा गांधी मेडीकल कॉलेज में प्रवेश मिला और अंततः डॉ. सुनील ने मेडिसिन में एम. डी. की डिग्री हासिल की।
मेहनत की कमाई से माता -पिता को बांटी खुँशिया
डॉ. सुनील गुप्ता के हृदय में अपने माता - पिता के प्रति श्रद्धा व आदरभाव काफी कूट-कूट कर भरा है। उनका मानना है कि माता-पिता का आशीर्वाद जिसके सिर पर हो, वह जीवन की हर वांछित सफलता पा सकता है। हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह माता - पिता की न केवल सेवा करे बल्कि उन्हें खुशियाँ भी बाटे। वे एक घटना को याद करते हुए कहते हैं की जब मैं M.B.B.S हो गया तो इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (मेयो) में इंटर्नशिप के साथ अनुभव हेतु 2 अन्य अस्पतालों में मिलाकर 8-8 घंटे की तीन डयुटी करते थे। जहाँ मेहनत के रूप में हर माह 400/- रूपये प्राप्त होते थे। अर्थात 24 घंटे ड्यूटी के हिसाब से 1200/- रूपये प्रति माह मिलते थे उनकी बपचन से ही पैसा जमा करने की आदत थी। दरअसल, डॉ. गुप्ता की हार्दिक इच्छा थी कि वे अपने जमा किए गए पैसो से माता-पिता की शादी की 25th सालगिरह मनाए। अंततः वर्ष 1987 में डॉ. सुनील गुप्ता ने एक सरप्राइज देते हुए अपने माता -पिता की शानदार सिल्वर जुबीली सालगिरह मनाई. लोग मातृ-पितृ भक्ति देख स्तब्ध रह गए। वहीं, माता-पिता की आँखों से खुशी के आंसू बह निकले।
और शुरू कर दी डायबिटीज की प्रैक्टिस
MBBS व M.D. होने तक सिर्फ साइकिल से सफर करने वाले डॉ. सुनील गुप्ता भले ही आज देश के अग्रणी मधुमेह विशेषज्ञ है. लेकिन यहाँ पहुंचने तक का उनका सफर काफी संघर्षों से भरा व प्रेरणादायी भी रहा है। सन 1988 की एक अविस्मरणीय घटना को स्मरण करते हुए वे बोलते है कि मैं उस वक्त मेयो हॉस्पिटल में था, तब एक अनजान पेशंट को कोमा की हालत में भर्ती कराया गया। यह मरीज ट्रेन में सफर के दौरान जहरखुरानी का शिकार हो गया था विशेष बात यह थी कि इस मरीज के साथ कोई भी परिजन या परिचित नहीं थे। डॉ. सुनील गुप्ता ने अपनी मानवता का परिचय देते हुए अन्य मरीजों की तरह ही इस कोमा में आये अनजान मरीज की सतत 8-10 दिनों तक सेवा की व उपचार किया और इसके बाद उसकी जान बच गई। कहते है. डॉक्टर भगवान का रूप होता है और यह बात वाकई उन्होंने सिद्ध कर दिखाई। 1990 में M.D. होने के बाद 15 अगस्त सन 1991 को डॉ. सुनील गुप्ता ने खुद की प्रैक्टिस टिमकी में अपने नानाजी के घर में शुरू की। 20 नवंबर 1992 में डॉ. सुनील गुप्ता का विवाह कविता गुप्ता से हुआ। श्रीमती डॉ. कविता गुप्ता इस वक्त सुनिल्स डायबिटीज केयर एंड रिसर्च सेंटर में डायरेक्टर व एज्युकेटर है। इसके बाद 1993 में देश में मधुमेह का भीष्म पितामह कह जाने वाले मुंबई के मधुमेह तज्ञ डॉ. एस. एस आजगाँवकर के आशीर्वाद के साथ उनके बेटे डॉ. विजय आजगाँवकर एवं डॉ. एच बी. चंदालिया, डॉ. दीपक दलाल व डॉ. सुरेश मेहतालिया, के मार्गदर्शन में डॉ. सुनील गुप्ता ने मुंबई में मधुमेह चिकित्सा की करीब एक वर्ष तक ट्रेनिंग ली। 1993 मे आजगांवकर ने डॉ. सुनील गुप्ता को सलाह दी कि वे अमेरिका जाएँ और वहाँ भी मधुमेह की ट्रेनिंग ले। डॉ. सुनील गुप्ता ने अमेरिका के वीजा के लिए निवेदन किया तो उनका आवेदन रद्द हो गया। पुनः दो बार और निवेदन किया और सभी आवेदन रद्द हो गये। इस पर क्षुब्ध होकर डॉ. सुनील गुप्ता ने कहा कि अब वे अमेरिका कभी नहीं जायेंगे, तो डॉ. आजगाँवकर ने कहा धैर्य रखो, एक दिन ऐसा आएगा. जब तुम्हे खुद अमेरिका से बुलावा आएगा, मधुमेह विशेषज्ञ की ट्रेनिंग के पश्चात् शहर आने पर 15 अगस्त 1994 को नागपुर के मानसिक रोग तज्ञ डॉ. गोविन्द बंग की मदद से राधा पॅलेस धंतोली में "डायबिटीज केयर सेंटर" प्रारंभ किया जिसका उदघाटन डॉ. सुनील गुप्ता के मार्गदर्शक डॉ. विजय आजगाँवकर व डॉ. एस. एम पाटिल के हस्ते हुआ। उद्घाटन के दिन ही आहार - प्रदर्शनी व मधुमेह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर इस अभियान की नींव रखी गई। .
शुरू किया भव्य हॉस्पिटल व् रिसर्च सेंटर
13 वर्षों के कठिन परिश्रम के पश्चात् जगह कम पड़ने के कारण 15 अगस्त 2007 में 42. लेंड्रा पार्क, रामदासपेठ इलाके में 3 मंजिला हॉस्पिटल 'सुनिल्स डायबिटीज केयर एंड रिसर्च सेंटर नाम से शुरू किया। इस हॉस्पिटल का शुभारंभ माननिय श्री. नितिन गडकरी (वर्तमान केंद्रीय मंत्री) के हस्ते किया गया विगत 26 वर्षों से डॉ. सुनील गुप्ता अब तक अपनी प्रैक्टिस से दौरान हजारो मधुमेह पीड़ितो की आशा की किरण बने हुए है इस हॉस्पिटल की एक मंजिल पर मधुमेही व उनके रिश्तेदारों की जागरूकता हेतु नियमित शिक्षा सत्र पूर्णतः निशुल्क दिया जाता है। हेलो डायबिटीज के प्रमुख जागरूकता अभियान है, जिसे काफी ख्याति प्राप्त है। आज डॉ. सुनील गुप्ता का नाम संपूर्ण देश व दक्षिण एशिया में प्रेगनेंसी डायबिटीज के निदान के लिए जाना जाता है। ज्यूनियर चेंबर इंटरनेशनल (JCI) द्वारा उन्हें 2001 में “The Outstanding Young Indian Award"(TOI) प्राप्त हुआ तत्पश्चात्, 2002 में डॉ. सुनील गुप्ता को "The Outstanding Young Person of the World'(TOP) से लॉस वेगास अमेरिका में सम्मानित किया गया अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस अवॉर्ड से अब तक अमेरिका के 07 राष्ट्रपतियों व जैकी चेन, माइकल जैक्सन जैसी हस्तियों को पूर्व में सम्मानित किया जा चुका है 123 देशों से चयन प्रक्रिया द्वारा 10 श्रेणियों में 40 वर्ष से कम उम्र के विश्व के केवल 10 व्यक्तियों की इस अवॉर्ड से नवाजा जाता है।
यह अवॉर्ड पाने के लिए डॉ. सुनील गुप्ता को जब अमेरिका से बुलावा आया तो डॉ. आजगाँवकर की वह बात सही साबित हुई जब कभी उन्होंने कहा था कि एक दिन तुम्हें खुद अमेरिका वाले स-सम्मान बुलाएंगे। डॉ. सुनील गुप्ता बताते हैं कि मजेदार बात यह रही कि जब वे उक्त अवॉर्ड पाने के लिए वीजा के लिए आवेदन करने गए तब फिर एक बार मेरा आवेदन रद्द हो गया। बाद में अमेरिका एम्बेसी ने अपनी भूल का अहसास करते हुए अमेरिका का वीजा, स-सम्मान उन्हें आमंत्रित करके जारी किया।
आज 15 अगस्त 2020 तक डॉ. सुनील गुप्ता विगत 26 वर्षों में 2040 कार्यक्रम कर चुके है. अर्थात् हर 5 से 6 दिनों में डायबिटीज एजुकेशन का एक प्रोग्राम आयोजित करते है। उनके इस कार्य में उनके माता - पिता के साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती डॉ. कविता गुप्ता, छोटे भाई संगीत गुप्ता, बड़े बेटे श्लोक व छोटे बेटे स्वर का पूरा सहयोग मिलता है। विभिन्न स्कूलों, संस्थाओं के साथ ही गांवों व शहरों तक डॉ. सुनील गुप्ता मधुमेह की जनजागृति में अनवरत जुटे हुए है। जनवरी 2001 में उन्होंने देश की पहली व सबसे बड़ी मधुमेह रैली निकाली थी, जिसमें 30 हजार से अधिक मधुमेही शामिल हुए थे। वैसी ही रैली का आयोजन 2014 में भी उन्होंने किया। डॉ. सुनील गुप्ता खुद व उनका परिवार संगीत प्रेमी है उनका मानना है कि संगीत से व्यक्ति को जो सुकून मिलता है, वह अन्य किसी विधा से नहीं मिलता है। डॉ सुनील गुप्ता की सराहनीय व उत्कृष्ट सेवाओं का प्रतिफल है कि आज उन्हें 'लिमका बुक ऑफ रिकार्ड", "विदर्भ गौरव पुरस्कार (2006) के साथ ही "गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित" किया जा चुका है।
इसके अलावा उन्हें 2019 में "The Outstanding Services to Diabetes India" award, "Best Diabetes Education Program in India"(2017 & 2014). "Ranjeet Deshmukh Central India Doctor's award in Academic Category "(2015), "Sun-Rise Peace : Vaidyakiya Shiromani Puraskar"(2015), 1 Global Nagpur Award (2014), ICONS of Nagpur, Young Achievers Award, 20132014 Vaidya- Vibhushan Award (2000), International President Award for Diabetes Education (1995&2001) से भी सुशोभित किया गया। मध्य भारत के लिये यह गर्व की बात है कि सुनील डायबिटिज केअर अॅन्ड रिसर्च सेंटर, को विश्व में मधुमेह की सबसे बड़ी संस्था International Diabetes Federation (IDF) ERT "The IDF Centre of Education" & "The IDF Centre of Excellence in Diabetes Care" (2017) से नामांकित किया गया है।डॉ. सुनील गुप्ता शायद मध्यभारत के एकमात्र चिकित्सक है जिन्हें विश्व की 5 सर्वाधिक गौरवपूर्ण फेलोशिप से अलंकृत किया गया । वे फेलोशिप है :-* Fellow of American College of Endocrinologist (FACE) * Fellow of American College of Physician (FACP) * Fellow of Royal College of Physician (FRCP, London) * FRCP (Edinburgh) *FRCP (Glasgow) एवं 6 National Fellowships, 14 National Orations &3 Presidential Oration से पुरूस्कृत होने का सौभाग्य प्राप्त है। उनके 194 रिसर्च पेपर अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय Journals में Articles, Abstract व Book Chapter के रूप में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें Diabetes In Pregnancy Study Group In India (DIPSI) का 2021 राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया हैं। सुनिल्स डायबिटीज केयर एंड रिसर्च सेंटर प्रा. लि. के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं डायबिटीज केयर फाऊंडेशन ऑफ इंडिया (नागपुर) के फाऊंडर ट्रस्टी व अध्यक्ष, डॉ. सुनील गुप्ता वर्तमान में RSSDI (रिसर्च सोसायटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज) के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष है। इसके पूर्व, अकेडेमी ऑफ मेडिकल सायन्सेस (AMS), डायबिटीज असोसिएशन ऑफ इंडिया (DAI) व IMA-AMS (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन - अॅकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशलिटी) नागपुर के अध्यक्ष रह चुके है। उसी तरह IMA-AMS (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अॅकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशलिटी) के Zonal Chairman मी रह चुके हैं।
हेलो डायबिटीज की मधुमेह जागरूकता अभियान की शृंखला में ऑल इंडिया रेडियो (मुंबई) द्वारा उन्हें सफरनामा कार्यक्रम में साक्षात्कार हेतु आमंत्रित किया गया उसी तरह एवं नागपुर आकाशवाणी में पिछले 15 वर्षों से जीवन के रंग मधुमेह के सग व हेलो डॉक्टर कार्यक्रम के माध्यम से आज भी वे उसके अभिन्न अंग है। उनकी न्यूज व लेख अमेरिका के New York Times, से लेकर देश की India Today Magazine में भी प्रकाशित हो चुके है उनके माधुर्य पूर्ण स्वभाव के लिए उन्हें लोग "शुगर-नील" अर्थात शुगर को Nil करने वाला सुनील नाम से परिचित करवाते है ।
Sunil’s Diabetes Care n’ Research Centre (DCRC) is a core of excellence for the people with diabetes from the last 20 years offering best in class services, facilities and expertise along with educational opportunities and spreading mass awareness ….”A Complete and committed Diabetes Care all under One Roof ”. DCRC, is renowned in India for its pioneering endeavor in Diabetes Education, treating above 30000 people with diabetes and educating lakhs of people all over the world, making them self dependent. |
Other Links :
- Wikipedia: http://bit.ly/33VkX4q
- Dr-Sunil-Gupta-Of-Nagpur-In-Guinness-Book-Of-World-Records http://bit.ly/30OJ1UY
- Accept, get motivated and learn to live with type 1 diabetes http://bit.ly/2Ma2U3j
- Dr-Sunil-Gupta-Decodes-Myths-About-Diabetes http://bit.ly/2V6Tfia
- video gallery https://bit.ly/2E4JxIK
- Diabetes in Women & Pregnancy? http://bit.ly/2oMiiLm
- International Fellowship Award to Dr Sunil Gupta at USA http://bit.ly/2AHnpzc
- डॉ. सुनील गुप्ता सन्मानित http://bit.ly/30IsEZV
- “Outstanding Service To Diabetes India” Award For Making Diabetes Care During, 9th World Congress Of Diabetes India 2019 On 28th Feb - 3rd March 2019 At Jaipur.
- Dr. Sunil Gupta Felicitated For Conducting National Diabetes Educator’s Program (Ndep) For Consecutive 6 Years On 20 July 2018 At Chennai.
- DCRC Is Recognized As The IDF Center Of Education & IDF Center Of Excellence In Diabetes Care For The Year 2017-2019 At International Diabetes Federation World Congress 4-8 Dec 2017 At Abu Dhabi, Uae.
- Guinness Book Of World Records (2014) Participate In The Largest Diabetic Neuropathy Screening (1676) At 27 Locations, Across Indian World Diabetes Day 14th Nov2013, Supported By Diabetic Foot Society Of India, Novo Nordisk Education Foundation & The Times Of India .& “Limca Book Of World Record”-(2016)
- The Out Standing Young Person Of The World award (2002) (Toyp) The Only Diabetologist Of The Country, Honoured With This Award At Las Vegas, U.S.Aduring Jci World Congress. (Past Luminaries To Receive This Award Are: Hon.Johns.Kennedy, Richard Nixon, Bill Clinton, Jackie Chan, Etc.)
- National Award For Best Diabetes Awareness Program During National Gdm Day-March 2017
- Ranjeet Deshmukh Central India Doctors Award (24.12.2015) With The Hands Of Hon. Chief Minister Shri. Devendra Fadnavis & Hon. Union Minister Shri. Nitin Gadkariji
- Sunrise Peace: Vaidyakiya Shiromani Award By Sunrise Peace Mission 13.12.15
- National Award For Diabetes Education (2014) Research Society For Study Of Diabetes In India (Rssdi-Bengaluru)
- 1st Global Nagpur Award (2014) - By Nagpur First
- Icons Of Nagpur Award (2014) - By Lokmat Group
- Young Achiever's Award (2013-14)-Academy Of Medical Sciences, Nagpur
- Vidarbha Gourav Puraskar (2006)Shrimant Raje Raghuji Maharaj Bhosle
- (Pratham) Bahuuddeshiya Smruti Pratishthan, Nagpur.
- Ten Out Standin Gyoung Indian Award(2001)-Jci¬-India.
- New Horizon International Award For Diabetes Education By
- International Lion President Award, USA (1995&2001)
- Vaishya Bhushan Award (2000), Vaishya Ekta Manch, Nagpur
- Rashtriya Chikitsak Ratna Award (2001)–Nation’s Economic development & Growth Society, Delhi
Notable Achievements
- Organized The Nation’s Biggest' Diabetes Awareness Rally at Nagpur
- National Conference Organized- National DIPSI (Diabetes In Pregnancy Study Group In India) – 2008, IMA-AMS Zonal Conf – 2002, Diabetes Academia (2014, 2016, 2018), Maharashtra State Rssdi-2019 (Feb 2019)
- Fellow ship sand orations: Rare Honour Of Being Awarded With5 International Fellowships, 6
- National fellowships,14 National orations.
- Total 9 National Research Paper Awards: Six Consecutive Years (Chennai-1997, Ahemdabad-1998, Bhubneshwar-1999,
- Mumbai-2000, Chandigarh-2001, Delhi-2002) Five From RSSEID & One From NNDU (Delhi). One From Indian Dietetic
- Association (Hyderabad-2012) & Two From World Congress Of Diabetes India (Delhi-2017 & Kolkatta-2018)
- 5 Students Have Completed Their Ph.D. From DCRC
Publications:
- 180 (128 Indexed & 52 Non Indexed) International & National Research Papers ,Articles, Chapters & Abstracts in Various Books &Journals.
- Regional Faculty (Annual Courses and Leadership)
- Advanced Certificate Diploma Course In Diabetes Of RSSDI Under Jaipur National University (2017 Onwards)
- For Four IDF Certified Course of Public health foundation of India (Phi), Delhi, Dr. Mohan’s diabetes education
- Academy,Chennai CCEBDM(Since2011), CCGDM(Since2013) ANDACMDC (Since 2015)].
- National Diabetes educator Program (NDEP) For paramedics (Since2011).
- National Governing Council Member Research Society For Study Of Diabetes In India: (Rssdi-2016-19), Jt. Secretary
- For Diabetes In Pregnancy Study Group (DIPSI)-South East Asia (2016 Onwards), National Executive Member Diabetes
- India, President Managing Council Of Diabetic Asso.of India (Nagpur-2015-18).He Also Holds Many Other National And
- Regional Posts in Numerous Academic and Social Associations.
Social Commitments
- Mega Hello Diabetes Education Program For People With Diabetes & Their Caretakers At Multiple Locations In Central India Taken 870 Programs For 25 Years.
- “Diabetes Care on Wheels”…Ambulance For Rural Screening Of Diabetes
- Every Saturday “Hello Diabetes Program” For IPD & OPD Patients &Caretakers at DCRC Premises from 8 yrs.
- Screening Of Teachers for Diabetes Along With Diabetes Education Program “Educating the Educators”
- Adolescent Obesity Education Programs for High School Students for Adopting Healthy Dietary Practices.
- Free Consultation To The Needy Juvenile Diabetics.
- Annual Diabetes Education Residential Two Days Camp for Juvenile Diabetics for 19 years. Instrumental in initiating juvenile diabetic parent Association of India, Nagpur.
- Free Annual Screening For Metabolic Syndrome In Women With Past History Of Gestational Diabetes (GDM Club).
- Adoption of Unprivileged Juvenile Diabetic Children (Type1) For Annual Free Insulin Therapy.
- Education Program &Free Stationery for Orphans Of Mission India Project At Rural Nagpur.
- Screening & Education Of Rural Leprosy Patients At Anandwan (Warora) & For People At Old Age Homes.