Chunilal Shah / चुनीभाई शाह


परिवार, समाज और व्यापार में बेहतर सामंजस्य स्थापित कर  दृढ़ता से अग्रसर ७५ वर्ष के युवा चुनीभाई शाह

अनेक सामाजिक धार्मिक एवं व्यापारिक संस्थाओ में सक्रिय भूमिका निभा चुके ७५ बसंत पार कर चुके चुन्नीभाई शाह आज भी हर क्षैत्र में उतने ही सक्रिय है ।

"साई इतना दीजिए जामे कुटुम्ब समाय, मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाए " 

इन पक्तियों को अक्षरशः साकार कर दिखाने वाले चुनीभाई शाह की जीवनशैली औरो से कुछ हट कर है । बचपन से लेकर ताउम्र अपने सिध्दांतों पर अमल करने वाले लोग विरले ही नजर आते हैं। चुन्नी भाई शाह एक ऐसी ही शख्सियत हैं, जो आज न केवल अपने परिवार बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं। गुजरात के सावरकुंडा के समीप करजाला गांव में एक किसान परिवार में जन्मे  चुनीभाई को बचपन में जो सुसंस्कार व अनुशासन का पाठ सीखने को मिला, उसने उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल दी। संयमित जीवनशैली व सच्चाई के मार्ग पर चलने का जो सिलसिला बचपन में शुरु हुआ, वह अब भी कायम है।

पिताश्री के तीन उपदेशों ने दिखाई जीवन की राह

श्री चुन्नीभाई शाह अपनी बचपन की स्मृतियों को ताजा करते हुए कहते हैं कि वे जब १५ वर्ष के थे तब उनके पिताश्री ने तीन मंत्र दिए। पहला यह कि "सदा वहां बैठना, जहां से कोई तुम्हें न उठाए।" दूसरा "ऐसा बोलना कि कोई चुप न कराए" एवं तीसरा मंत्र दिया कि ‘जिंदगी में किसी को बेवकूफ मत बनाना बल्कि खुद  बेवकूफ बनकर खुश रहना’। सुनने में ये बातें शायद साधारण लगें, लेकिन इनके गूढ़ अर्थ हैं। जीवन के हर पायदान पर पिताश्री के बताये मार्ग पर  हो परिवार, समाज और व्यापार में बेहतर सामंजस्य स्थापित कर  दृढ़ता से अग्रसर हुए ,उनका का मानना है कि कभी भी किसी के सामने हाथ मत फैलाओ और इसके लिए यह जरुरी है कि आप इतना कमाओ कि ऐसी नौबत ही कभी न आए। जीवन है तो जिम्मेदारियां भी है। इन जिम्मेदारियों को हमें खुद ही निभाना होगा।  जिम्मेदारियों से मुंह मॊड़ना कतई योग्य नहीं है। कोई भी कार्य समर्पण ,लगन और आत्मविश्वास के साथ किया जाये तो सफलता मिलना ही है ।

शुरू की पेपर न्युज एजेंसी

सन १९६१ में चुनीभाई ने मुंबई से नागपुर का रुख किया। बड़े भाई की आराम लॉज थी, कुछ समय उसमे  हाथ बटाया फिर खुद का ही कोई ऐसा काम शुरू करने का निर्णय लिया, सन १९६५ में ‘शाह न्युज एजेंसी’ के नाम से न्यूज़ पेपर एजेंसी का काम शुरू किया । ‘संदेश’, जन्मभूमि’, ‘चित्रलेखा’, ‘मुंबई समाचार’, ‘जी-मॅक्जीन’ आदि अखबार व पत्रिकाएं विभिन्न हॉकर्सो द्वारा लोगों के घरों तक व नियत समय पर पहुंचाए जाने लगे।उस वक्त मात्र १८पैसों में अखबार बिकता था और एक अखबार पर ६ पैसे कमीशन मिलता था। इसमें से ३ पैसे हॉकर्स को व ३पैसे उन्हें कमीशन मिलता था। इस दौरान वर्ष १९६७ में श्री शाह का विवाह हो गया तो कंधे पर नई जिम्मेदारी आ गई। अतिरिक्त कमाई के लिए उन्होंने लॉटरी व्यवसाय शुरू किया। उस वक्त सिर्फ पंजाब सरकार की ही टिकटें आती थी, श्री शाह ने इसी सरकारी लॉटरी की एजेंसी शुरु कि। हालाकि यह व्यवसाय कुछ समय तक ही किया। बाद में स्टेनलेस स्टील व्यापर में मात्र १२ हजार रुपयों की पूंजी से उन्होंने अपने घर से व्यवसाय शुरु किया आज ३ प्रतिष्ठान को संचालित कर रहे है ।

और ठान लिया... ‘"मै असहाय आश्रित नहीं रहुंगा "

श्री चुनीभाई कहते हैं सिर्फ भाग्य’ के भरोसे बैठने से हर सफलता नहीं मिलती है बल्कि ‘कर्म’ को साधकर हर वांछित सफलता को हासिल किया जा सकता है। गरीबी व अमीरी मानव जीवन की अवस्थाएं हैं, जिन्हें हम अपने कर्मों के कम-ज्यादा प्रयासों से ही पाते हैं। मैंने जैसे ही होश सम्भाला तो बस एक बात ठान ली कि जो भी करना पड़े, करुंगा और मरते दम तक कभी भी असहाय ,आश्रित नहीं रहुगा । इस ध्येय पर चुनीभाई हमेशा चले और यह साबित कर दिखाया कि जहां ‘चाह’ होती है, वहां ‘राह’ मिल ही जाती है। आज वे हर तरह से सुखी और संपन्न हैं और जीवन से पूर्णत: आत्म-संतुष्ट हैं। अनेक दु:खी व जरुरतमंदों की मदद के लिए हाथ वे सदा खुले रखते हैं। विशेष बात यह है कि उन्होंने कभी भी ‘नाम’ के लिए ‘दान’ नहीं किया।

जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान महावीर स्वामी के सिध्दांत जियो और जीने दो, सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह व शुध्द व सात्विक आहार को अपने जीवन में अपनाने वाले श्री चुनीभाई धार्मिक वृत्ति परिपूर्ण व्यक्तित्व है । अनेक साधु साध्वियों की सेवा कर उनका सानिध्य व आशीर्वाद वे पा चुके हैं। प्राय: सभी जैन तीर्थो की वे यात्रा कर चुके हैं। उनका मानना है कि सेवा कार्यो के प्रतिफल के रुप में ईश्वर दोगुना हमें वापस करता है। वे इस बात को बड़ी प्रबलता के साथ कहते हैं कि हर इंसान ‘भाग्य’ लेकर जन्म लेता है और ‘कर्म’ लेकर जाता है। सुख और दु:ख तो आते हैं और जाते हैं, अत: सुख में विचलित न हों और दु:ख में न घबराएं। हर स्थिति ईश्वर द्वारा प्रदत्त है। जहां भी अच्छी बातें, अच्छा ज्ञान मिले उसे ले लेना चाहिए क्योंकि अच्छे ज्ञान व सात्विक विचारों से चरित्र का निर्माण होता है और वही वयक्ति की सबसे बड़ी पूंजी है।

समाजसेवा में बनाई विशेष पहचान

‘जीवदया’ के प्रति अपने हृदय में नम्र भाव रखने वाले श्री चुनीभाई समाज के हर वर्ग के प्रति दयाभाव रखते हैं। दु:खी, पीड़ित, वंचित व जरुरतमंदों की  मदद करने में वे सदा अपने हाथ खुले रखते हैं। जब वे बोर्डिग में रहकर बचपन में पढ़ाई कर रहे थे, उसी वक्त से उनके मन में समाजसेवा का बीजांकुर हुआ। इसके बाद यह सिलसिला अब तक अनवरत व सतत शुरु है। श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी संघ से वे काफी लम्बे समय तक जुड़े रहे। २३ वर्षों तक लगातार निस्वार्थ भाव से जैन दवाखाने (इतवारी ) में सेवा दी । नागविदर्भ चेंबर ऑफ कॉमर्स में ३६  वर्षों की सेवाए उन्होने दी। मफतलाल ग्रुप के सद्गुरु सेवा संत ट्रस्ट से संलग्न रहकर २३ नेत्र शिविरों का सफल आयोजन किया। लायंस क्लब में उन्होंने विभिन्न पदों का दायित्व सम्भाला।

१९९५ -९६ में लायंस क्लब द्वारा आयोजित सामुहिक विवाह में श्री शाह की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसी क्लब द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य शिविर में उनका सराहनीय योगदान रहा। विशेष यह कि एक अंध बच्चे को आंखे दिलवाने का नेक कार्य भी किया। लायंस क्लब द्वारा मोतियाबिंदु के ८  शिविर उनके नेतृत्व में आयोजित किए गए।अनाथाश्रम, अंधाश्रम में भोजनदान उनका निरंतर क्रम रहा व २० विकलांगों का ऑपरेशन भी कराया। इसी तरह लायंस क्लब द्वारा इनके कार्यकाल में दिव्यांगो को ७५ ट्रायसिकल का वितरण किया गया व गरीबों को कंबलों का वितरण किया गया।

२००५ में वे गुजराती समाज के अध्यक्ष बने और ८ वर्षो तक समाज से जुड़ी हर गतिविधियों में भाग लिया। गुजराती समाज के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी को भी नागपुर आमंत्रित किया था। पुलिस कर्मचारियों के लिए स्वास्थ शिविर आयोजित करने पर पूर्व पुलिस कमिश्नर टी. श्रंगारवेल द्वारा उन्हें प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया । श्री चुनीभाई शाह कि गुजराती साहित्य लेखन में भी गहरी अभीरूचि है स्थापित गुजराती-लेखक-साहित्यकारों की रचनाओं का पुनः प्रकाशन कर युवाओ को वितरित कर समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन भी करते है । वे अनेक सामाजिक, व्यापारिक व धार्मिक संस्थाओं से जुडे रहे व वर्तमान में भी अनेक संस्थाओं से संलग्न है व कई संस्थाओं के ट्रस्टी है।

अनुकरणीय कदम

श्री शाह कहते हैं अपनी जड़ों को कभी विस्मृत नहीं करना चाहिए क्योकि ऊर्जा तो वहीं से मिली थी ,अपनी मातृभूमि, कर्मभूमि के साथ ही अपने शिक्षा मंदिर को भी नहीं भूलना चाहिए। १९४९ में गुजरात के छोटे से ग्राम के जिस विद्यालय में उन्होने अपने बचपन में पढ़ाई की थी वहां ७० वर्षो के उपरांत हाल ही में उस स्कूल में एक समारोह आयोजित किया और वहां शिक्षणरत १७० बच्चों को नये यूनिफार्म दिए व स्कूल में लायब्रेरी का निर्माण इत्यादि करवाया ताकि अपने शिक्षा मंदिर का ऋण अदा कर सके श्री शाह इसे अपने जीवन का अविस्मरणीय पहलू...व  यादगार क्षण मानते है ।

परिवार पिताश्री स्व.मोहनलाल जी शाह ,पुत्र :यतिन शाह ,जतिन शाह ,नितिन शाह :पुत्री :स्वातिबेन
जन्म तिथि 18/05/1943
जन्मस्थल करजाला सावरकुंडला तहसील ,गुजरात
जिला नागपुर
शहर नागपुर
शैक्षिक विस्तार १२ वी
स्कूल के के हाई स्कूल सावरकुंडला तहसील ,गुजरात
बिज़नेस / प्रोफेशन व्यापार
विवाह तिथि २८ .०५ .१९६७
श्रीमान / श्रीमती श्रीमती पदमाबेन शाह
युवाओं के लिए संदेश युवा वर्ग को संघर्ष से शिक्षा ले कर साहस और नैतिकता के साथ आगे बढ़ाना चाहिए सफलता निश्चित है
प्रेरणा स्त्रोत / आदर्श व्यक्ति स्वामी विवेकानंद ,माता पिता
पुरस्कार / उपलब्धियां
  • नागपुर पुलिस आयुक्त  द्वारा वैद्यकीय शिबिर में बहुमूल्य सहकार्य हेतु  २१.ऑक्टूबर १९९५ को  प्रशंसा पत्र  प्रदान किया गया
  • महाराष्ट्र शासन द्वारा ०१.जनवरी १९९० को विशेष कार्यकारी दंडाधिकारी नियुक्त 
  • वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नागपुर द्वारा १९७४ से १९८८ तक निस्वार्थ सेवा हेतु विशिष्ट सन्मान पत्र 
  • लायंस क्लब नाग विदर्भ चेम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स, स्थानकवासी जैन श्रावक संघ,श्री गुजराती समाज ,दशा श्रीमाली वणिक संघ , नागपुर स्टेनलेस स्टील मर्चेंट असोसिएशन इत्यादि अनेक सामाजिक धार्मिक एवं व्यपारिक संस्था में पदाधिकारी 
  • आजीवन सदस्य :श्री गणेश मंदिर टेकड़ी नागपुर
  • सेठ  केसरीमल  पोरवाल  कॉलेज , कामठी   संस्थापक दिवस  समारोह जनवरी २०१८ में प्रमुख अतिथि 
  • गांधीबाग  सहकारी  बैंक  के एटीएम कार्ड का लांचिंग समारोह  में प्रमुख अतिथि 
  • स्टेनलेस स्टील मर्चेंट एसोसिएशन के वार्षिक समारोह  में प्रमुख अतिथि 
  • सौराष्ट्र दशा श्रीमाली वणिक संघ   के अमृत महोत्सव का आयोजन 
  • वी एम वी कॉलेज में गणत्रंत दिवस ध्वजा रोहण समारोह  में प्रमुख अतिथि   
वर्ग सामाजिक कार्य
Appreciation
WhatsApp Us